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हाईकोर्ट ने कहा- जिन्हें समलैंगिक विवाह रजिस्ट्रेशन से मना किया उनकी सूची दें; केंद्र बोला- इस विवाह को कानून, समाज और मूल्य मान्यता नहीं देते https://ift.tt/35AmnFA

समलैंगिकों द्वारा किए गए विवाह को हिंदू मैरिज एक्ट के तहत मान्यता देने की मांग को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई। केंद्र सरकार ने इस याचिका पर आपत्ति जताते हुए इसे खारिज करने की मांग की है।

दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस प्रतीक जालान की बेंच ने याचिकाकर्ता को कहा है कि वह उन्हें उन लोगों की लिस्ट दे, जिनका समलैंगिक विवाह रजिस्ट्रेशन करने से मना किया गया है। इस मामले की अगली सुनवाई 21 अक्टूबर को होगी।

दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर करने वाले अभिजीत अय्यर मित्रा का कहना है कि समलैंगिकता हमारे देश में अब अपराध नहीं है। इसके बावजूद हिंदू विवाह अधिनियम के प्रावधानों के तहत समलैंगिक विवाह को अभी भी अनुमति नहीं दी जा रही है। जबकि यह कानून दो हिंदुओं के बीच विवाह की बात करता है।

समलैंगिक विवाह को मान्यता देने का आदेश जारी किया जाए

कई समलैंगिक जोड़ों ने शादी के बाद अपने विवाह के रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन किया, मगर उन्हें इसकी इजाजत ही नहीं दी गई। इससे समलैंगिकों के राइट टू मैरिज अधिकार का उल्लंघन हो रहा है, जो कि संविधान के आर्टिकल 21 का हिस्सा है। लिहाजा, हिंदू मैरिज एक्ट में समलैंगिक विवाह को भी मान्यता दिए जाने का आदेश जारी किया जाए।

केंद्र सरकार की ओर से सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता ने याचिका पर आपत्ति जताते हुए कहा कि कि याचिकाकर्ता की मांग को स्वीकार नहीं किया जा सकता। हिंदू मैरिज एक्ट महिला और पुरूष के विवाह की बात करता है न कि महिला से महिला या पुरूष से पुरूष के विवाह की। हमारा कानून और नैतिक मूल्य समान लिंग विवाह को मान्यता नहीं देते।

समलैंगिक विवाह हमारी संस्कृति और मौजूदा कानून के खिलाफ है। उन्होंने दहेज उत्पीड़न के मामलों में आईपीसी की धारा 498ए का उल्लेख करते हुए कहा कि घरेलू हिंसा संबंधी कानूनों में पति और पत्नी जरूरी तत्व हैं। मगर समलैंगिक विवाह में यह संभव नहीं है।

कोर्ट को यह ध्यान में रखना चाहिए कि उन्होंने केवल समलैंगिकता को अपराध के दायरे से बाहर किया है, इसके अलावा कोई छूट नहीं दी गई। यह याचिका सुनवाई के योग्य नहीं है, इसे खारिज किया जाए।

अगर कोई पीड़ित है, तो वह राहत की मांग करते हुए हाईकोर्ट आ सकता है

दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डीएन पटेल ने याचिकाकर्ता के वकील से पूछा कि क्या किसी समलैंगिक जोड़े के विवाह के पंजीकरण से इनकार किया गया है? वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता गोपीशंकर ऐसे लोगों में से एक हैं। ऐसे कई लोग उनकी जानकारी में हैं। मगर वे व्यक्तिगत रूप से कोर्ट आने की इच्छा नहीं रखते हैं।

चीफ जस्टिस ने कहा कि इस मामले में जनहित याचिका दायर करने का सवाल नहीं उठता। अगर कोई पीड़ित व्यक्ति है, तो वह राहत की मांग करते हुए हाईकोर्ट आ सकता है। आप प्रभावित लोगों की एक लिस्ट कोर्ट को दें।



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याचिका दायर करने वाले अभिजीत अय्यर मित्रा का कहना है कि समलैंगिकता हमारे देश में अब अपराध नहीं है। इसके बावजूद हिंदू विवाह अधिनियम के प्रावधानों के तहत समलैंगिक विवाह को अभी भी अनुमति नहीं दी जा रही है। (फाइल फोटो)


from Dainik Bhaskar /national/news/the-high-court-said-give-us-the-list-of-those-who-refused-gay-marriage-registration-center-said-law-society-and-values-do-not-recognize-this-marriage-127720813.html
हाईकोर्ट ने कहा- जिन्हें समलैंगिक विवाह रजिस्ट्रेशन से मना किया उनकी सूची दें; केंद्र बोला- इस विवाह को कानून, समाज और मूल्य मान्यता नहीं देते https://ift.tt/35AmnFA Reviewed by Ranjit Updates on September 15, 2020 Rating: 5

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