Top Ad unit 728 × 90

Breaking News

random

विकास पर समझौता, भावी पीढ़ी और देश के साथ अन्याय है; सरकारें आएं या जाएं पर बेहतर भविष्य से राजनीति नहीं होनी चाहिए https://ift.tt/33GgKDg

खबर पांच सितंबर 2020 की है। मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट 2023 डेडलाइन के तहत पूरा नहीं होगा। भारत की यह पहली महत्वाकांक्षी योजना है। उसी दिन की खबर है कि जो जापानी कंपनियां चीन से निकलकर भारत आएंगी। उन्हें जापान सरकार सब्सिडी देगी। एक दिन पहले खबर थी कि कपड़ा बनाने वाली कंपनियां, चीन से भारत आएंगी।

जापान के आर्थिक-व्यापार व उद्योग मंत्रालय की घोषणा आई कि जापान, भारत व बांग्लादेश को विशिष्ट सूची में रख रहा है। इस घोषणा के बाद अब टोक्यो की नजर है कि भारत इस अवसर का कितना लाभ उठाता है? विशेषज्ञ कहते हैं इससे सूचना प्रौद्योगिकी, सूचना प्रौद्योगिकी सक्षम सेवाएं, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, इंटरनेट ऑफ थिंग्स क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं। इस जापानी फैसले से भारत के केमिकल, फूड प्रोसेसिंग उद्योग को भारी लाभ हो सकता है।

इसी तरह तमिलनाडु का तिरुपुर है, कपड़ा उद्योग का मुख्य केंद्र। वहां एसपी एपेरल्स के एमडी सुंदर राजन कहते हैं कि चीन से कपड़ा उद्योग की कंपनियां आ रही हैं। पर हमें श्रम शक्ति व सरकार से इंफ्रास्ट्रक्चर व वित्तीय क्षेत्र में भरपूर मदद चाहिए, ताकि अवसर का लाभ मिल सके। तिरुपुर गारमेंट्स एक्सपोर्ट पिछले साल मार्च तक 26 हजार करोड़ था।

2020 मार्च में कोरोना में घटकर 25 हजार करोड़ हुआ। इस शहर में कुल छह लाख श्रमिक हैं। यह एक शहर के कपड़ा उद्योग का ब्योरा है। भारत में इस नीति से लाभ पाने वाले अनेक ऐसे शहर हैं। ये खबरें पढ़कर जापान यात्रा की स्मृति उभरी। एक संसदीय दल के साथ 2019 में जापान जाना हुआ।

जापान में विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी मिले। उन्होंने बताया कि जापानियों की पहली पसंद भारत है। अत्यंत मामूली सूद पर बड़ी पूंजी भारत में जापानी कंपनियां लगाना चाहती हैं। पूछा, फिर अड़चन कहां है? उनका जवाब था, जापानी व्यक्ति और चरित्र विशिष्ट है।

भारत के संदर्भ में उनका व्यावहारिक अनुभव कटु है। महाराष्ट्र का ही हवाला दिया कि कुछ दशकों पहले कुछ प्रोजेक्ट जापान के सहयोग से राज्य में शुरू हुए। काफी समय गुजर जाने के बाद भी पूरे नहीं हुए। काम की प्रगति के प्रति जापानी सोच-संस्कृति अलग है। तय समय सीमा के तहत प्रोजेक्ट समापन।

पांच वर्ष का प्रोजेक्ट 10-20 वर्ष तक लटका रहे, यह गणित वे समझ नहीं पाते। भारतीय कामकाज की संस्कृति, जापानियों के लिए शॉकिंग होती है। जापान में तैनात विदेश सेवा के भारतीय अधिकारी ने कहा- यही मूल कारण है कि हम जापान की सस्ती पूंजी व तकनीक का लाभ नहीं उठा पाते।

इसके ठीक उलट चीन का अनुभव है। अविकसित चीन, विकसित कैसे बना? रोचक प्रसंग है। 1978 में चीन के विशिष्ट नेता ‘देंग’ जापान गए। चीन के ‘आधुनिकीकरण’ का सपना लेकर। इसके पहले तक जापान और चीन की शत्रुता संसार जानता था। देंग एक सप्ताह जापान में रहे। दो देशों के बीच ऐतिहासिक ‘चीन-जापान शांति मित्रता’ करार किया। अतीत के अप्रिय व कटु इतिहास को भुलाकर, सम्राट हीरो हीटो से मिले।

जापान ने दूसरे महायुद्ध के बाद, 40 वर्षों के अंदर जिस तरह कायापलट किया था, देंग उस जापानी उत्कर्ष को देखकर अति प्रभावित थे। वह बड़ी तैयारी से जापान गए थे। उनकी शॉपिंग लिस्ट में था, चीन को इलेक्ट्रॉनिक्स कारोबार में दुनिया का श्रेष्ठ मैन्युफैक्चरिंग केंद्र बनाना।

मस्तुशिष्टा इलेक्ट्रिकल इंडस्ट्री क्षेत्र गए, जहां पैनासोनिक प्लांट था। वहां कंपनी के संस्थापक 85 वर्षीय कोनोसुके मस्तुशिष्टा साथ थे। वहां उन्होंने देखा टेलीविजन सेट, वीडियो रिकॉर्डिंग वगैरह कैसे असेंबल होते हैं। ऑटोमेटिक। उन्होंने कहा, चीन को जरूरत है इस विदेशी ‘नो हाउ’ और निवेश की। मस्तुशिष्टा ने कहा, मैं आपकी मदद के लिए सर्वश्रेष्ठ कोशिश करूंगा। आठ माह बाद वह चीन सरकार के अतिथि थे।

संयुक्त करार हुआ। 250 विशिष्ट चीनी कारीगर प्रशिक्षण के लिए जापान भेजे गए। इसके बाद का इतिहास दुनिया में विकास के क्षेत्र में चमत्कार माना जाता है। चीन पैनासोनिक कंपनी का ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब बना। ऐसे अनेक प्रयास चीन ने किए। तब चीन मैन्युफैक्चरिंग में आज की स्थिति में पहुंचा।

1978 की उसी यात्रा में जापानी बुलेट ट्रेन ने देंग का मन मोह लिया। उनका संकल्प उपजा कि चीन समयबद्ध बुलेट ट्रेन लगाएगा। याद रखिए 78 तक भारतीय रेल, चीन से बेहतर स्थिति में थी। भारत का जीडीपी चीन के बराबर था। चीन ने वहीं से करवट बदली। अपनी कार्यसंस्कृति बदलकर। करार के प्रति प्रतिबद्ध होकर।

इस संदर्भ में, भारत के पहले बुलेट ट्रेन का समय से पूरा न होने की खबर पढ़ी। तेजी से बदलती पूरी दुनिया में सस्ती पूंजी या ‘नो हाउ’ की मांग है। पर समय, पूंजी और बाजार किसी की प्रतीक्षा नहीं करते। भारत के लिए भी कोई प्रतीक्षा नहीं करेगा, अगर हम खुद चौकस या तत्पर नहीं होंगे। सही है कि राज्य सरकारों का अपना राजनीतिक एजेंडा है। पर विकास पर समझौता, भावी पीढ़ी और देश के साथ अन्याय है। सरकारें आएं या जाएं पर बेहतर भविष्य, राजनीति का विषय न रहे। (ये लेखक के अपने विचार हैं)



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
हरिवंश, राज्यसभा के उपसभापति


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/35KnliD
विकास पर समझौता, भावी पीढ़ी और देश के साथ अन्याय है; सरकारें आएं या जाएं पर बेहतर भविष्य से राजनीति नहीं होनी चाहिए https://ift.tt/33GgKDg Reviewed by Ranjit Updates on September 18, 2020 Rating: 5

No comments:

Please don't tag any Spam link in comment box

Contact Form

Name

Email *

Message *

Powered by Blogger.

Enter your email address:

Delivered by FeedBurner