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आज पहली बार मनाया जाएगा इंटरनेशनल क्लीन एयर डे फॉर ब्लू स्काई; विशेषज्ञ बोले- भारत के लिए इसका महत्व ज्यादा https://ift.tt/2GwbxG9

(अनिरुद्ध शर्मा). कोरोना काल में दुनिया के तमाम देशों में सालों बाद बिल्कुल साफ और नीला आसमान दिखाई दिया। लॉकडाउन के शुरुआती दिनों में पंजाब और उत्तर प्रदेश में इमारतों की छतों से हिमालय की चोटियां नजर आने लगीं। सड़कों पर वाहनों के आवागमन और औद्योगिक गतिविधियों के कम होने के कारण ऐसा हुआ।

दुनिया के तमाम देशों में कारों की जगह लोगों ने साइकिल पर चलना शुरू कर दिया। इसे लेकर यूनाइटेड नेशंस (यूएन) ने पहली बार 7 सितंबर को ‘इंटरनेशनल क्लीन एयर डे फॉर ब्लू स्काई’ मनाने की घोषणा की है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस इस विशेष दिवस पर सोमवार को एक वीडियो संदेश जारी करेंगे।

इसमें वे वायु प्रदूषण रोकने के लिए पर्यावरण मानकों, नीतियों और कानूनों को लागू करने, जीवाश्म ईंधनों पर सब्सिडी खत्म करने, क्लीन एनर्जी के लिए इंटरनेशनल सहयोग और विकासशील देशों से जीवाश्म ईंधन आधारित परियोजनाओं को क्लीन एनर्जी में स्थानांतरित करने पर जोर देने का आग्रह करेंगे।

भारत वायु प्रदूषण से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाला देश है

इंटरनेशनल फोरम फॉर एन्वायर्नमेंट, सस्टनेबिलिटी एंड टेक्नोलॉजी (आई-फॉरेस्ट) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी चंद्रभूषण बताते हैं- ‘क्लीन एयर-डे का महत्व भारत के लिए सबसे ज्यादा है। भारत वायु प्रदूषण से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाला देश है। आंकड़े बताते हैं कि देश में आज 90 करोड़ टन कोयला, 40 करोड़ टन बायोमास, 20 करोड़ टन तेल और 5 करोड़ टन गैस की ऊर्जा के लिए खपत है।

यानी आज 80-85% ऊर्जा कोयला और बायोमास से मिलती है। यही वायु प्रदूषण के सबसे बड़े कारक हैं। देश में प्रदूषण कम करने के लिए ऊर्जा के तरीकों को बदलना होगा। कोयला और बायोमास को बदलना हमारी पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। भारत को ई-व्हीकल की ओर तेजी से बढ़ना चाहिए।

दुनिया की 92%आबादी प्रदूषित हवा में सांस लेती है; फसलों पर भी असर

  • दुनिया की 92 फीसदी आबादी प्रदूषित हवा में सांस लेती है। इसके चलते सालाना 70 लाख लोग समय से पहले मर जाते हैं।
  • खुले में प्रदूषण से दुनिया में लोगों की सेहत को लेकर जितना नुकसान होता है, यूनाइटेड नेशंस के अनुमान के मुताबिक, वह ग्लोबल जीडीपी के 4.8 फीसदी (570 अरब अमेरिकी डॉलर) के बराबर है।
  • ओजोन के प्रदूषण का फसलों पर असर पड़ता है। सोयाबीन फसल की उपज में ओजोन प्रदूषण के चलते 15% तक की गिरावट आ जाती है।
  • प्रदूषण के चलते क्लाइमेट चेंज की गति तेज हुई है। मौसम के एक्सट्रीम इवेंट (जैसे किसी एक स्थान पर बहुत ज्यादा बारिश, बड़े इलाकों में बारबार सूखा, बाढ़) बढ़ गए हैं।


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मध्यप्रदेश के धार में बदनावर कस्बे से 8 किमी दूर बड़ाछ गांव के बाहर पहाड़ों के बीच हरियाली।


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आज पहली बार मनाया जाएगा इंटरनेशनल क्लीन एयर डे फॉर ब्लू स्काई; विशेषज्ञ बोले- भारत के लिए इसका महत्व ज्यादा https://ift.tt/2GwbxG9 Reviewed by Ranjit Updates on September 07, 2020 Rating: 5

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