Top Ad unit 728 × 90

Breaking News

random

टीचिंग में जेंडर गैप; प्राइमरी स्कूलों में तो 100 पुरुषों पर 183 महिलाएं टीचर; लेकिन कॉलेज में रह जाती हैं सिर्फ 73 महिला टीचर https://ift.tt/2QTivap

हमारे देश में शिक्षा के स्तर को लेकर कई तरह की बातें कही जाती हैं। क्वॉलिटी एजुकेशन को लेकर भी एक्सपर्ट के अपने-अपने मत हैं। सरकार ने हाल ही में एजुकेशन सिस्टम में सुधार के लिए नई शिक्षा नीति की घोषणा की है। लेकिन, हमारे वर्तमान एजुकेशन सिस्टम में कई अच्छी चीजें हैं। टीचिंग सेक्टर उन सेक्टर्स में शामिल हैं, जहां महिलाओं की भागीदारी काफी ज्यादा है। प्राइमरी एजुकेशन में तो पुरुषों की तुलना में लगभग दोगुना महिलाएं हैं।

देश की कुल महिला आबादी का सिर्फ 18% महिलाएं कामकाजी हैं। इनमें से कृषि, स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में इनकी भागीदारी सबसे ज्यादा है। प्राइमरी एजुकेशन में तो 100 पुरुषों पर 183 महिलाएं पढ़ा रही हैं। अपर प्राइमरी में 100 पुरुषों पर 83 महिलाएं पढ़ा रही हैं। जबकि, सेकंडरी, सीनियर सेकंडरी और कॉलेज लेवल पर यह अनुपात 100 पुरुषों पर 73 महिलाओं का है। यानी जैसे-जैसे पढ़ाई का स्तर बढ़ता जाता है, महिला टीचर्स की भागीदारी कम होती जाती है।

125 करोड़ की आबादी वाले हमारे देश में इस वक्त एक करोड़ टीचर हैं। इनमें से 87 लाख टीचर स्कूलों में पढ़ा रहे हैं तो 14 लाख टीचर कॉलेजों या यूनिवर्सिटियों में पढ़ा रहे हैं। सरकारी आंकड़ों की बात करें तो सबकुछ बढ़िया चल रहा है। 30 स्टूडेंट्स पर एक टीचर होना चाहिए, स्कूलों में 23 स्टूडेंट्स पर एक टीचर है। मानव संसाधन मंत्रालय के स्कूल शिक्षा विभाग की 2018 की रिपोर्ट में ही यह दावा किया गया है। अगर आप हायर एजुकेशन की बात करें तो 29 स्टूडेंट्स पर एक टीचर है। मानक तो कहते हैं कि 35 स्टूडेंट्स पर एक टीचर होना चाहिए। यह दावा भी 2019 में जारी ऑल इंडिया सर्वे ऑन हायर एजुकेशन के जरिये मानव संसाधन मंत्रालय ने ही किया है। यहां बात सिर्फ छात्र-शिक्षक अनुपात की हो रही है, पढ़ाई की नहीं। वरना, असर की 2019 की रिपोर्ट के मुताबिक, लखनऊ में कक्षा एक में पढ़ने वाले 41.1% बच्चे अक्षर भी नहीं पढ़ सकते, जबकि 32.9% अक्षर पढ़ लेते हैं, लेकिन शब्द नहीं पढ़ पाते।

11वीं-12वीं में स्टूडेंट्स ज्यादा, टीचर कम

देश के स्कूल सिस्टम में कुल 87 लाख टीचर हैं। इनमें से 52 लाख से ज्यादा टीचर 8वीं तक की पढ़ाई से जुड़े हैं। 11वीं, 12वीं की पढ़ाई के लिए टीचर्स पर ज्यादा बोझ है। केंद्र की ही एक रिपोर्ट के मुताबिक, सीनियर सेकंडरी एजुकेशन में एक टीचर पर 37 स्टूडेंट हैं। यह तो हुई औसत की बात, हकीकत तो यह है कि कई सरकारी स्कूलों में 50-50 बच्चों पर एक टीचर भी नहीं है। इस पर भी सरकारी स्कूलों में काम करने वाले टीचर्स पर पढ़ाई के साथ-साथ चुनाव कराने, जनगणना करने से लेकर कई तरह के कामों का बोझ आता है।

पिछले पांच साल में एक टीचर पर बोझ साल-दर-साल बढ़ा है। यानी सरकारी आंकड़ों पर भरोसा करें तो 2014-15 में एक टीचर पर 22 स्टूडेंट्स थे। 2018-19 में ये बढ़कर एक टीचर पर 29 स्टूडेंट हो गया। हालांकि, ये आंकड़ा अभी भी सरकार के मानक के मुताबिक ही है।

राज्यों के लिहाज से देखें तो प्राइमरी एजुकेशन में उत्तरप्रदेश के टीचर्स पर सबसे ज्यादा बोझ है। यहां एक टीचर पर 39 स्टूडेंट हैं। वहीं, बिहार में एक टीचर पर 36 स्टूडेंट हैं। अपर प्राइमरी स्कूलों में सबसे ज्यादा स्टूडेंट टीचर रेशियो उत्तर प्रदेश का ही है।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
India Teacher Population Ratio Update | How Many Teacher Are In India? All You Need To Know What Is The Total Number Of Male Female Shiksha In India Today?


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2Z8Ck21
टीचिंग में जेंडर गैप; प्राइमरी स्कूलों में तो 100 पुरुषों पर 183 महिलाएं टीचर; लेकिन कॉलेज में रह जाती हैं सिर्फ 73 महिला टीचर https://ift.tt/2QTivap Reviewed by Ranjit Updates on September 05, 2020 Rating: 5

No comments:

Please don't tag any Spam link in comment box

Contact Form

Name

Email *

Message *

Powered by Blogger.

Enter your email address:

Delivered by FeedBurner