जौहर दिवस विशेष- साहस, हिम्मत व निडरता बलिदानी "रानी पद्मावती" से नहीं बल्कि “जोन ऑफ़ आर्क’ से सीखा है प्रियंका गांधी ने.. पर कौन है वो "आर्क" ?
भारत देश में अगर निडर महिलओं की बात की जाय या उनकी याद की जाय तो सबसे पहले माता सीता, माता दुर्गा , रानी लक्ष्मी बाई, रानी चेनम्मा और रानी पद्मावती का नाम सबसे पहले आएगा . भारत के इतिहास ही नहीं बल्कि वर्तमान में भी तमाम महिलायें ऐसी हैं जिनकी मिसाल शायद ही दुनिया में कहीं हो .
उदाहरण के लिए पाकिस्तान की जेल में बंद कुलभूषण जाधव की धैर्यवान और निडर पत्नी, विंग कमांडर अभिनंदन की धर्मपत्नी और भी तमाम महिलायें ..लेकिन जब भारत की बागडोर लेने के लिए संघर्ष कर रही विपक्ष की पार्टी की सबसे बड़ी पंक्ति के नेताओं और नेत्रिओं में से एक प्रियंका गांधी अपनी निडरता का श्रेय किसी जोन ऑफ़ आर्क को देने लगें तो इतना समझना तो जरूरी लगता है कि आख़िरकार वो जोन ऑफ़ आर्क कौन है.
सिर्फ इतना ही नहीं, जानना ये भी जरूरी लगने लगता है कि ऐसा क्या था उसमे जो भारत की तमाम देवियों और वीरांगनाओं के बजाय प्रियंका गांधी ने उनसे वो निडरता सीखी जो निडरता किसी महिला के लिए दुनिया में अच्छा मुकाम हासिल करने के लिए बहुत जरूरी होती है.
विदित हो कि जोन ऑफ़ आर्क का कोई भी रिश्ता , किसी भी प्रकार का सम्बन्ध भारत से , भारत के समाज से , भारत की संस्कृति से कभी भी नहीं रहा . जोन ऑफ़ अर्क असल में फ्रांस में जन्मी एक लड़की थी जिसको ईसाइयों के रोमन कैथोलिक समाज में एक महिला संत की उपाधि दी गयी है .
इनका जन्म वर्ष 1412 के आस पास हुआ माना जाता है.. इनके पिता किसान थे और बचपन से ही ये दावा करने लगी थी कि इनकी बात ईसाइयों के गॉड से होती है और वो इनको व्यक्तिगत रूप से बताते हैं कि दुश्मन के साथ जंग कर के उसको कैसे हराया जा सकता है . कुल मिला कर इनको चमत्कारिक घोषित कर दिया गया .
ब्रिटेन और फ्रांस के युद्ध में फ्रांस के राजा चार्ल्स ने जोन ऑफ़ आर्क को शत्रु देश से लड़ रहे अपने सैनिको को भविष्यवाणी बता कर उत्साहित करने के लिए युद्ध क्षेत्र में भेज दिया था क्योकि जोन का कहना था कि युद्ध में फ्रांस की जीत पक्की है. ये युद्ध क्षेत्र आर्लियंस नाम की जगह थी .
फ्रांस के सैनिको ने अपना लहू बहा कर आख़िरकार जीत हासिल की लेकिन उस जीत को जोन ऑफ़ आर्क की भविष्यवाणी से मिली जीत घोषित कर दिया गया . बाद में चार्ल्स इस जीत के बाद फ्रांस की खोई जमीन वापस पाया और बाकायदा अपना राज्याभिषेक करवाया.
बाद में जोन ऑफ़ चार्ल्स को दुश्मन देश के सैनिको ने धोखे से पकड़ लिया और उनको अपनी हार का दोषी बताते हुए मार डाला . इतना ही नहीं दुश्मन देश के सनिको ने उस लड़की को चुड़ैल करार दिया था .. मौत के समय उस लडकी की उम्र 19 वर्ष की थी और उसके चलते ही फ़्रांस के सैनिक बाद में जब भी हारते थे तब वो जोन ऑफ़ आर्क का नाम लिया करते थे …
वही जोन ऑफ़ आर्क कुछ समय पहले ही प्रियंका गांधी के ट्विटर पर स्थान पाई थी और उसके बाद देश ये जानने के लिए व्याकुल था कि आखिर वो जोन ऑफ़ आर्क कौन है जिसने प्रियंका गांधी के ऊपर वो असर डाला जो रानी लक्ष्मीबाई , रानी अहिल्या , रानी चेनम्मा और रानी पद्मावती भी नहीं डाल पाईं.
17 मार्च 2019 को रात 11 बज कर 19 मिनट पर नरेंद्र मोदी मोदी व योगी आदित्यनाथ के खिलाफ संकेत करते हुए प्रियंका गांधी ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर प्रयागराज के स्वराज भवन की तस्वीर शेयर करते हुए लिखा था कि - "स्वराज भवन के आँगन में बैठे हुए वह कमरा दिख रहा है जहाँ मेरी दादी का जन्म हुआ। रात को सुलाते हुए दादी मुझे जोन ऑफ आर्क की कहानी सुनाया करती थीं। आज भी उनके शब्द दिल में गूँजते हैं। कहती थीं- निडर बनो और सब अच्छा होगा।"
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उदाहरण के लिए पाकिस्तान की जेल में बंद कुलभूषण जाधव की धैर्यवान और निडर पत्नी, विंग कमांडर अभिनंदन की धर्मपत्नी और भी तमाम महिलायें ..लेकिन जब भारत की बागडोर लेने के लिए संघर्ष कर रही विपक्ष की पार्टी की सबसे बड़ी पंक्ति के नेताओं और नेत्रिओं में से एक प्रियंका गांधी अपनी निडरता का श्रेय किसी जोन ऑफ़ आर्क को देने लगें तो इतना समझना तो जरूरी लगता है कि आख़िरकार वो जोन ऑफ़ आर्क कौन है.
सिर्फ इतना ही नहीं, जानना ये भी जरूरी लगने लगता है कि ऐसा क्या था उसमे जो भारत की तमाम देवियों और वीरांगनाओं के बजाय प्रियंका गांधी ने उनसे वो निडरता सीखी जो निडरता किसी महिला के लिए दुनिया में अच्छा मुकाम हासिल करने के लिए बहुत जरूरी होती है.
विदित हो कि जोन ऑफ़ आर्क का कोई भी रिश्ता , किसी भी प्रकार का सम्बन्ध भारत से , भारत के समाज से , भारत की संस्कृति से कभी भी नहीं रहा . जोन ऑफ़ अर्क असल में फ्रांस में जन्मी एक लड़की थी जिसको ईसाइयों के रोमन कैथोलिक समाज में एक महिला संत की उपाधि दी गयी है .
इनका जन्म वर्ष 1412 के आस पास हुआ माना जाता है.. इनके पिता किसान थे और बचपन से ही ये दावा करने लगी थी कि इनकी बात ईसाइयों के गॉड से होती है और वो इनको व्यक्तिगत रूप से बताते हैं कि दुश्मन के साथ जंग कर के उसको कैसे हराया जा सकता है . कुल मिला कर इनको चमत्कारिक घोषित कर दिया गया .
ब्रिटेन और फ्रांस के युद्ध में फ्रांस के राजा चार्ल्स ने जोन ऑफ़ आर्क को शत्रु देश से लड़ रहे अपने सैनिको को भविष्यवाणी बता कर उत्साहित करने के लिए युद्ध क्षेत्र में भेज दिया था क्योकि जोन का कहना था कि युद्ध में फ्रांस की जीत पक्की है. ये युद्ध क्षेत्र आर्लियंस नाम की जगह थी .
फ्रांस के सैनिको ने अपना लहू बहा कर आख़िरकार जीत हासिल की लेकिन उस जीत को जोन ऑफ़ आर्क की भविष्यवाणी से मिली जीत घोषित कर दिया गया . बाद में चार्ल्स इस जीत के बाद फ्रांस की खोई जमीन वापस पाया और बाकायदा अपना राज्याभिषेक करवाया.
बाद में जोन ऑफ़ चार्ल्स को दुश्मन देश के सैनिको ने धोखे से पकड़ लिया और उनको अपनी हार का दोषी बताते हुए मार डाला . इतना ही नहीं दुश्मन देश के सनिको ने उस लड़की को चुड़ैल करार दिया था .. मौत के समय उस लडकी की उम्र 19 वर्ष की थी और उसके चलते ही फ़्रांस के सैनिक बाद में जब भी हारते थे तब वो जोन ऑफ़ आर्क का नाम लिया करते थे …
वही जोन ऑफ़ आर्क कुछ समय पहले ही प्रियंका गांधी के ट्विटर पर स्थान पाई थी और उसके बाद देश ये जानने के लिए व्याकुल था कि आखिर वो जोन ऑफ़ आर्क कौन है जिसने प्रियंका गांधी के ऊपर वो असर डाला जो रानी लक्ष्मीबाई , रानी अहिल्या , रानी चेनम्मा और रानी पद्मावती भी नहीं डाल पाईं.
17 मार्च 2019 को रात 11 बज कर 19 मिनट पर नरेंद्र मोदी मोदी व योगी आदित्यनाथ के खिलाफ संकेत करते हुए प्रियंका गांधी ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर प्रयागराज के स्वराज भवन की तस्वीर शेयर करते हुए लिखा था कि - "स्वराज भवन के आँगन में बैठे हुए वह कमरा दिख रहा है जहाँ मेरी दादी का जन्म हुआ। रात को सुलाते हुए दादी मुझे जोन ऑफ आर्क की कहानी सुनाया करती थीं। आज भी उनके शब्द दिल में गूँजते हैं। कहती थीं- निडर बनो और सब अच्छा होगा।"
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जौहर दिवस विशेष- साहस, हिम्मत व निडरता बलिदानी "रानी पद्मावती" से नहीं बल्कि “जोन ऑफ़ आर्क’ से सीखा है प्रियंका गांधी ने.. पर कौन है वो "आर्क" ?
Reviewed by Ranjit Updates
on
August 26, 2020
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